हर कोमल भावना पर स्त्रीलिंग था छाया, तुम्हें आता कहाँ था कुछ बचाना, संभालना-सँवारना हर कोमल भावना पर स्त्रीलिंग था छाया, तुम्हें आता कहाँ था कुछ बचाना, सं...
चलों मेला चलें, चलों मेला चलें। मैया नर्मदा के दर्शन करें।। चलों मेला चलें, चलों मेला चलें। मैया नर्मदा के दर्शन करें।।
मत चलो दूसरों के पीछे, अपना मार्ग स्वयं बनाओ। मत चलो दूसरों के पीछे, अपना मार्ग स्वयं बनाओ।
घरों को बड़ा करते-करते, हम खुद ही इतने बड़े हो गए, आधुनिकता की आड़ में, अपनी संस्कृति से परे हो गए। घरों को बड़ा करते-करते, हम खुद ही इतने बड़े हो गए, आधुनिकता की आड़ में, अपनी संस...
जाने मस्त कहाँ व्यस्त हो गया जो मानवता अब रुग्ण हो गई। जाने मस्त कहाँ व्यस्त हो गया जो मानवता अब रुग्ण हो गई।
नदियों से ही जीवन उपजा इनका दिल से धन्यवाद करें..। नदियों से ही जीवन उपजा इनका दिल से धन्यवाद करें..।